गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गयी | poem on bapu in hindi- कवि सुदीप भोला

गौरैया ने अब बागो में आना छोड़ दिया है
कोयलिया ने भी दहशत में गाना छोड़ दिया है
बहसी बनकर घूम रहे हैं आज चमन में भवरे।
जब देखा तो कलियों ने मुसकाना छोड़ दिया है॥

अभी साख पर कोपल फूटी अभी नोचकर खाई
जब तितली ने देखा तो वो पंख तोड़ चिल्लाई॥
कैसी बेहयाई आई आई कैसी बेहयाई।



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गाँधी जयंती स्पेशल कविता (Poem on bapu in hindi)


यह कैसी आज़ादी हर ओर बरबादी
गंदी गंदी राजनीति ने लंगोटी बिकवादी
संसद लगता है हल्दीघाटी का मैदान हो गयी।
गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गयी॥

जमकर हुआ घोटाला काइयों का मुह काला
पीएनबी वाले गाते हैं उह लाला उह लाला
काली सूची क्या हुई वो झंडुबाम हो गयी
गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गयी॥

नकदी बंद करादि कैसे हो अब शादी
दूल्हा दुल्हन दोनों के सपनों की बाट लगा दी
होना हनीमून था लेकिन जयहनुमान हो गयी
गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गयी

अरे राजनीति के छल छंदो के सागर गहरे गहरे
रावण के तो दस थे लेकिन इनके सौ सौ चेहरे
ऐसा लगता है हर कुर्सी अशराम हो गयी
गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गयी॥
गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गयी॥
                                        सुदीप भोला
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