आज
कल की भागती दौड़ती जिन्दगी में कब कौन बिछड़ जाता हैं इस बात का अंदाजा ही नहीं लगता
हैं, पता तो हमें तब चलता हैं जब हमे कोई ऐसा मिलता हैं, और वो शख्स तुझसे बहुत
अलग होता हैं, साथ तो होता हैं पर उस साथ में वो प्यार नही होता हैं. जो तेरे साथ
में था जिसको मैं तेरे होते हुए समझ नही पाया......
दोस्तों
ऐसे ही मिलते झूलते हादसे शायद हम सभी की लाइफ में होते हैं, जब दर्द हद से बढ़ता
हैं तो लोगो अपनी बातों को शायरी के अंदाज में बयां कर देते हैं....
कुछ
ऐसी ही शायरी जो आपके दिल को छू जाए....
Ø जब दर्द हद से गुजर जाता है
तब
इंसान रोता है
बस खामोश हो जाता हैं.....
Ø सफ़र में कहीं तो दगा खा गए हम...
जहां से चले थे, वहीं आ गए हम...
Ø उनकी अपनी मर्ज़ी हो तो वो हमसे बात
करते हैं
Ø मत कर हिसाब मेरे प्यार का कहीं ऐसा ना
हो कि,
बाद में तू ही कर्जदार निकले!!
Ø क्या सबूत दू मैं अपने प्यार का क्या
इतना काफी नहीं कि,
आंसू तुम्हारे आंख से और बिखर मैं गई!!
Ø इश्क़ की गहराई में खूबसरत क्या हैं,
मैं हूं, तुम हो, और कुछ जरूरी क्या हैं
Ø सोचा था घर बना कर बैठूंगा सकून से,
पर घर की जरुरतों ने मुसाफ़िर बना डाला......
Ø बड़ी से बड़ी हस्ती मिट गयी मुझे झुकने
में,
बेटा तू तो कोशिश भी मत करना तेरी उम्र
गुजर जाएगी मुझे गिरने में......
Ø कुछ अजीब सा रिश्ता है
उसके और मेरे दरमियान,
न नफ़रत की वजह मिल सकी
न महुब्बत का सिला.....
Ø खुद को खो दिया मैंने,
अपनो को पाते पाते,
और लोग पूछते हैं,
कोई तकलीफ़ तो नहीं!!
Ø दुनियां को नफ़रत का यक़ीन नहीं दिलाना
पड़ता,
मगर लोगो को मुहब्बतों का सबूत देने की जरूर
पड़ती हैं!!
Ø कई बार बिना गलती के भी गलती मान लेते
हैं हम,
क्योंकि डर लगता हैं कि कहीं,
कोई अपना हमसे रूठ ना जाए!!
Ø उलझा रही हैं मुझको,
यहीं कशमकश आजकल...!!
तू आ रही बसी हैं मुझमें
या मैं तुझमें कहीं खो गया हूं??
- दिल
का रिश्ता भी क्या खूब होता हैं,
न
नफ़रत हो पाती हैं,
न
मुहब्बत का यक़ीन हो पाता है।